तू ख्यालों से परे
आती है खुशबू में
क़र्ज़ था किसी जनम का
आइने की यादों में….
सपनों की दुनिया में
छिन सी गयी हैं
बस बाकी बचा था
आइने की यादों में….
मानसिक व्यथा का
कभी हिचकियाँ दिलाती है
नहीं समझे है यह क्षण
आइने की यादों में….
अब साँसे भी गिनता हूँ
रेत पर मैं चल रहा हूं
खुद के ही साये से टकरा
आइने की यादों में….
1 comment:
अति सुंदर अभिव्यक्ति
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