Thursday, December 4, 2014

शब्दों का मायाजाल

ना अचारों से ना विचारों से
निकलती है मन के द्वारों से 
ना तुझमे ना मुझमें
उस दुनिया के सहचरों से 
ये शब्दों का मायाजाल है 

ना आँखों से ना हावों से 
राहों में नज़ारे दिखने से 
ना सवालों से ना जवाबों से 
भावनाओं के ऊंचाई से 
ये शब्दों का मायाजाल है

ना भावो को उकेरने  से 
ना राहों को बदलने से 
ना रिश्तों में ना बंधन में 
ना यादों को तड़पने से 
ये शब्दों का मायाजाल है

ना हौसलों से ना तूफ़ान से 
ना बदलते हुए आसमानो से 
ना काँटों से ना फूलों  से 
ना समझने के फेर से 
ये शब्दों का मायाजाल है

ना रचना से ना कहानी से 
ना गहरे भावों के प्रेम से 
ना ख्यालों से ना रिश्तों से 
ना प्यारी बातों के रेत से 
ये शब्दों का मायाजाल है

ना नैनो के नीर से ना तीर से 
ना साथ चलने के फेर से 
ना यादों से ना सपनो से 
ना शर्माने के बहाने से 
ये शब्दों का मायाजाल है 

ना लम्हों के रुकने से ना जाने से 
ना मजबूरी के बहाने से 
ना सांसो के रुकने से ना टूटने से 
जीवन की डोर के बहाने से 
ये शब्दों का मायाजाल है 

ना क़ागज़ से ना लबों से 
अधूरी पड़ी किताबो से 
ये शब्दों का मायाजाल है............
ये शब्दों का मायाजाल है............


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