ना अचारों से ना विचारों से
निकलती है मन के द्वारों से
ना तुझमे ना मुझमें
उस दुनिया के सहचरों से
ये शब्दों का मायाजाल है
ना आँखों से ना हावों से
राहों में नज़ारे दिखने से
ना सवालों से ना जवाबों से
भावनाओं के ऊंचाई से
ये शब्दों का मायाजाल है
ना भावो को उकेरने से
ना राहों को बदलने से
ना रिश्तों में ना बंधन में
ना यादों को तड़पने से
ये शब्दों का मायाजाल है
ना हौसलों से ना तूफ़ान से
ना बदलते हुए आसमानो से
ना काँटों से ना फूलों से
ना समझने के फेर से
ये शब्दों का मायाजाल है
ना रचना से ना कहानी से
ना गहरे भावों के प्रेम से
ना ख्यालों से ना रिश्तों से
ना प्यारी बातों के रेत से
ये शब्दों का मायाजाल है
ना नैनो के नीर से ना तीर से
ना साथ चलने के फेर से
ना यादों से ना सपनो से
ना शर्माने के बहाने से
ये शब्दों का मायाजाल है
ना लम्हों के रुकने से ना जाने से
ना मजबूरी के बहाने से
ना सांसो के रुकने से ना टूटने से
जीवन की डोर के बहाने से
ये शब्दों का मायाजाल है
ना क़ागज़ से ना लबों से
अधूरी पड़ी किताबो से
ये शब्दों का मायाजाल है............
ये शब्दों का मायाजाल है............
ये शब्दों का मायाजाल है............
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