Thursday, December 4, 2014

यादों में

तू ख्यालों से परे
आती  है खुशबू में
क़र्ज़ था किसी जनम का
आइने  की  यादों  में….

सपनों की दुनिया में
छिन सी गयी हैं
बस बाकी बचा था
आइने  की  यादों  में….

मानसिक व्यथा का
कभी हिचकियाँ दिलाती है
नहीं समझे है यह क्षण
आइने  की  यादों  में….

अब साँसे भी गिनता हूँ
 रेत पर मैं चल रहा हूं
खुद के ही साये से टकरा
आइने  की  यादों  में….

1 comment:

arvindpant said...

अति सुंदर अभिव्यक्ति