चेतना नई भरकर
तारों के दिपो में
शुष्क चिंगारी के सहारे
धरा पर कहीं रह न जायें
तेरी ही कहानी ।।।
मेरी जिद स्वप्न में
उत्पीडन से वंचित
नदियों में तैरते - तैरते
धुप मुस्कुराती हुए चली
तेरी ही कहानी ।।।
अहसास में डुबा स्वप्न
आस की अंतिम सांस
नीले झील की चादर
उफनती इक पहेली
तेरी ही कहानी ।।।