Saturday, November 29, 2014

तेरी ही कहानी

चेतना नई भरकर
तारों के दिपो में
शुष्क चिंगारी के सहारे
धरा पर कहीं रह न जायें
तेरी ही कहानी ।।।

मेरी जिद स्वप्न में
उत्पीडन से वंचित
नदियों में तैरते - तैरते
धुप मुस्कुराती हुए चली
तेरी ही कहानी ।।।

अहसास में डुबा स्वप्न
आस की अंतिम सांस
नीले झील की चादर
उफनती इक पहेली
तेरी  ही कहानी ।।।

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