Saturday, November 29, 2014

पल पल आभास

पत्थर मन में उलझे अरमान
रक्त रंजित तिरछी रौशनी
पाषाणो के कुम्हलाए फुलो में
पल पल आभास.....

व्यथा की धुप संबंधो में
अपनी ही छाया सुखी टहनी पर
स्याही पिते जंगल की छाया में 
पल पल आभास.....

झिझकते प्रतिक्षण मन चिंतन
छलती  अहसासों की बाधायें
जलते पाँव, भरे आँख निहारे
पल पल आभास.....

पलकों पर अधरों की आहट
फुल फुल मन में बिखर गया
परिवर्तित जन्मों के साथ मे
पल पल आभास.....

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