पत्थर मन में उलझे अरमान
रक्त रंजित तिरछी रौशनी
पाषाणो के कुम्हलाए फुलो में
पल पल आभास.....
व्यथा की धुप संबंधो में
अपनी ही छाया सुखी टहनी पर
स्याही पिते जंगल की छाया में
पल पल आभास.....
झिझकते प्रतिक्षण मन चिंतन
छलती अहसासों की बाधायें
जलते पाँव, भरे आँख निहारे
पल पल आभास.....
पलकों पर अधरों की आहट
फुल फुल मन में बिखर गया
परिवर्तित जन्मों के साथ मे
पल पल आभास.....
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