Sunday, November 23, 2014

मौन...

नुपुर मेरे भावों के
भीतर छिपे गहराई में
पैरों के आहट पर 
मौन शब्दों में झन झन झन

सिसकते लम्हे सिमित से मन में
टूटे हुए सपनो के हवा में 
अपनी ही तन्हाइयो में दबाकर
मौन शब्दों में झन झन झन

दोषी नहीं उन पंक्तियों का
जो शब्दों में समा चुकी है
अपेक्षायें समय के साथ रहकर
मौन शब्दों में झन झन झन


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