Friday, November 28, 2014

किश्तों में जिंदगी

आँखों में क्षण क्षण 
प्रश्न जीवन के पल चिन्ह
कलिया आहत स्वयं हलाहल 
किश्तों में जिंदगी पल पल 

अभिशप्त आवारा आंखो के सपने
इन आहटों की अनहोनी परछाई
उलझे हुए संबंधो के धागे 
किश्तों में जिंदगी पल पल

सकुचाते मन की तन्हाइयो
कुछ भ्रमित कुछ डरी डरी
मचाते दिन दिन उत्पात
किश्तों में जिंदगी पल पल

अधुरे पडे संकलन के अहसास
बंधनों में थके दर्द के रूप
हर आँख की छाया में प्रश्न
किश्तों में जिंदगी पल पल

इच्छाओं के दर्द की इमारत
छिन्न छिन्न होते हुये
भीगी निगाहों में दर्द
किश्तों में जिंदगी पल पल

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