Saturday, November 22, 2014

एक क्षण.....

प्रतीक्षा में तुम्हारी, 
कोई यह न कहे
क्षणिक सुख  के लिए
बूँद की तरह, 
तुममे विलीन हो जाऊं
बूंदों का अहसास 
कुछ कुछ उमंगो की लहर 
फिर एक ????????
स्वप्न था या यथार्थ
सिवा दोनों के
बिना अनुमति के
कुछ सोंच नहीं पाती.........

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