Saturday, November 22, 2014

अधुरी यादें

छोटी सी कामना
मेरी तन्हाइयो में
जब भी यहां वो आये
खोलेगी भेद आखो के
एक एक अधुरी यादें

धडकनों की मंजिल से
ख्यालों को बनाते हुए
लम्हा लम्हा हर पल 
अगन को ठंडक देती हुई
एक एक अधुरी यादें

अर्पित करू शब्दों में
रिस रिस तडप कर
पलों को संजोते हुये
लिखना अभी और है 
एक एक अधुरी यादें

जरा सा आसमान
अंतिम पल पल में
पहरा देते धरा पर
हवा के बहाव में बह गये
एक एक अधुरी यादें

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