Wednesday, December 3, 2014

बेनाम

    

अधूरा ही रह जाता है
उम्मीद से बँधा था जो दिल
टूट गया बीच राह में ,
बिना नाम …..बिना पहचान के

टूटती इन साँसों में
आज बहाने दे तू मुझको
लम्बी रातों का सफ़र
बिना नाम …..बिना पहचान के

साँस मंथन करने लगी
जब कुछ रहा ही नहीं 
न जाने कितने शब्दों से
बिना नाम …..बिना पहचान के

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