Friday, December 19, 2014

तीन छोटे छंद


1

नीलम के मेघ 
नैनों में दीपक से 
नभ के नवरंग से 
नवजीवन के अंकुर से 
देखी जीवन की राह.........


2

साँझ उषा का आँगन 
मौन मधुरिमा भरी 

निर्वसन झरने 
झर झर बहते हुए 

कभी अपने समय को 
याद करते हुए.........


3

       मन के प्रतिबिम्ब 
धुंधले होते हुए
ह्रदय को  
मरुभूमि बनाते हुए 
भावों को
विस्फोटित करते हुए 
एक स्वप्न की
 तरह बिखर गए ……?

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