1
नीलम के मेघ
नैनों में दीपक से
नभ के नवरंग से
नवजीवन के अंकुर से
देखी जीवन की राह.........
2
साँझ उषा का आँगन
मौन मधुरिमा भरी
निर्वसन झरने
झर झर बहते हुए
कभी अपने समय को
याद करते हुए.........
3
मन के प्रतिबिम्ब
धुंधले होते हुए
ह्रदय को
मरुभूमि बनाते हुए
भावों को
विस्फोटित करते हुए
एक स्वप्न की
तरह बिखर गए ……?
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