सफर एक अजनबी संग में
लाल हरी चूड़ियों की रंग में
रुनझुन करती पायल के अभंग में
सुहाने पलों के उमंग में
आज भी याद है तेरा खिलखिलाना .....
सभी तस्वीरों की यादों में
पल पल बीतते हुए क्षणों में
आँगन में यंहा से वंहा चलने में
तिरछी नजरों की सायों में
आज भी याद है तेरा खिलखिलाना .....
देखकर मुझे इठलाती सी
न जाने क्यों पगली सी
बीते पलों की तस्वीरों सी
चलती हुई मुस्कुराती सी
आज भी याद है तेरा खिलखिलाना .....
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