साँसे मेरी थमने को है
आँसूंओ का सैलाब बहने को है
मुस्कान मेरी मानो गुजर सी गई
सभी तस्वीरें गिर कर बिखर सी गई
कुछ बचा नहीं सिर्फ ……………………….एक शुन्य
पास आने में साये भी कतराने लगे है
फूलों ने भी दूरियां बढाने लगे है
चाँद भी दूर हो गया घने बादलों में
सूरज भी कही छुप गया आंधियों में
कुछ बचा नहीं सिर्फ ……………………….एक शुन्य
रिश्तों के आहट से भी उलझता हूँ
तिनको से भी बहोत घबराता हूँ
आँखे मानो पथरा सी गई
सांसे मानो थम सी गई
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