Monday, December 15, 2014

एक शुन्य

    साँसे मेरी थमने को है 
आँसूंओ का सैलाब बहने को है
मुस्कान  मेरी मानो गुजर सी गई 
सभी तस्वीरें गिर कर बिखर सी गई 
कुछ बचा नहीं सिर्फ ……………………….एक शुन्य 

पास आने में साये भी कतराने लगे है
फूलों  ने भी दूरियां बढाने लगे है
चाँद भी दूर हो गया घने बादलों में 
सूरज भी कही छुप गया आंधियों में  
कुछ बचा नहीं सिर्फ ……………………….एक शुन्य 

रिश्तों के आहट से भी उलझता  हूँ 
तिनको से भी बहोत घबराता हूँ 
आँखे मानो पथरा सी गई 
सांसे मानो थम सी गई 
कुछ बचा नहीं सिर्फ ……………………….एक शुन्य


चित्र गुगल से साभार

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