Wednesday, December 17, 2014

व्यथा

चित्र गुगल से साभार

अधूरी  कामनाये  
याद  करने  की  कोशिश  में  
सुलझती  नहीं 
उथल-पुथल हो  गई,जिंदगी 

धुनें सुनाई पड़ती हैं
चिंताओं  के  फेरे  में 
सुन न सके दर्द  को 
 तड़पती  रह गई,जिंदगी 

करवटों  के  साये  में 
अहसास  के  क्षणों  में  
बदले  हुए  रिश्तों  में 
मौन  रह गई, जिंदगी

गमो  के  रिश्तो  में  
घिरा  रहता  है  कही 
बिना  कुछ  सोंचे  
गमगिन होती हुइ, जिंदगी 

कुछ अपने को बदलने में 
 सपनो को समझने में 
पुराने रिश्तो की यादों में 
उलझ कर रह गई, जिंदगी

सफर के रास्तों में
थकान के फेरों में  
कोई न भूलनेवाली 
गलतियों में रह गई, जिंदगी

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