खनकते पलों को
याद करते उसके
नवपल् के आगमन की
सिन्दूर सा लाल चेहरा
श्रृंगार किये अपने को
देखा करते उसके
नवपल् के आगमन की
देहलीज़ पर खड़ी आतुरसी
निहारती जीवित क्षणों को
छवियों को महसूस करते
नवपल् के आगमन की
चंद्राकार में छुपी मृगतृष्णा
अपनी ही छाया को छूने
शरद रातों में खिले फूल के
नवपल् के आगमन की
एक छुहन भूली सी
विलोम हुआ कृष्ण अंधकार
क्रिया प्रक्रिया को प्रेरित करके
नवपल् के आगमन की
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