चूडियों की खनक
बन्द हो गई
अपने सवालों के तलाश में
खो जाने के सफर में
मन मजबूर
यादों के भंवर में
गुजरते वक्त की
आवाजे
उदास मेरी देह
अदृश्य परछाइयों की तरह
जलती लपटों के स्पर्श से
आग के पास रखी
अस्पर्श राख
बन्द हो गई
अपने सवालों के तलाश में
खो जाने के सफर में
मन मजबूर
यादों के भंवर में
गुजरते वक्त की
आवाजे
उदास मेरी देह
अदृश्य परछाइयों की तरह
जलती लपटों के स्पर्श से
आग के पास रखी
अस्पर्श राख
दर्द भरे
चुभते आग के तीरों से
छुआ है
'तुम्हारे'
अहम के तपते अंगारों को
मायूसी में
उम्मीद की तरह
सपनों की अदला बदली में
आसुओं से
गलना सिख लिया
गलना सिख लिया
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