मन के भीतर मन
सुखी लताओं में मुरझा
सुमन
वक्त को बहा ले गया..
इच्छाएं भी है अंतहीन
सहन से ज्यादा घुटन
धुन्धलाते शिशों पर
नहीं उभरते चित्र..
भुल जाओगे
सुखी लताओं में मुरझा
सुमन
वक्त को बहा ले गया..
इच्छाएं भी है अंतहीन
सहन से ज्यादा घुटन
धुन्धलाते शिशों पर
नहीं उभरते चित्र..
आकांक्षाओं के
नुकीले किनारों पर
गहराते हुए
शब्दों की व्यथा
जहां
आशा की मौत
नई संभावनाओं को
देती है जन्म
वहां
वहां
छलते हुए
परछाइयों के बीच
ढुंढ ता हु
खुद की पहचान
भुल जाओगे
खो चुके आँखों के मुल्य
इक बुंद के लिए
हवाओ से
किनाराकर
सपनों के साथ
निकल जायेगी
भुल जाओगे
खामोशी के पतझर मे
इक आस के लिए
जब आँखे
दर्द सी खडी
दीवारों में
पथरा जायेगी
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